किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग
हे पुत्री तुम ग़ौरव मेरा हे पुत्री तुम अभिमान हो। हे पुत्री तुम ग़ौरव मेरा हे पुत्री तुम अभिमान हो।
सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता सफलता-असफलता से बेपरहवाह आगे बढ़ते चले जाने की कविता
करो परिश्रम, चाहे मिले पराजेय या सफलता! करो परिश्रम, चाहे मिले पराजेय या सफलता!
विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब। विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब।
ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है। ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है।